भवन कब्जा मुक्त नहीं, आरोपी ने बनवाए फर्जी दस्तावेज, कब होगी कार्यवाही?
Table of Contents
भवन कब्जा मुक्त नहीं, आरोपी ने बनवाए फर्जी दस्तावेज, कब होगी कार्यवाही?
सरकारी भवन कब्जा मुक्त नहीं, आरोपी ने बनवाए फर्जी दस्तावेज, कब होगी कार्यवाही? [News VMH-Agra] जब आदमी का लालच बढ़ता है तब वह क्या कर दे पता नहीं, इसी की जीती-जागती मिशाल है होलीपुरा प्रकरण, यहाँ पर २० वर्ष से सरकारी स्कूल पर कब्ज़ा किए बैठे राधेश्याम ने भी अपने लालच में आकर वो सब किया जिसमें उसका फंसना लगभग तय है, जैसे ही प्रकरण की जाँच होगी सबसे पहले जाल में वही आएगा, उसने उस भवन की घरौनी ( मालिकाना हक ) बनबाई जो वर्षो से सरकारी स्कूल रहा।
सरकारी स्कूल पर कर लिया है कब्ज़ा
उसने यह घरौनी बनवाने के लिए जो दस्तावेज प्रतुत किए वो कहाँ से आए, जहाँ तक बात आती है सही दस्तावेज की तो, राधेश्याम के पास इसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि वह सरकारी स्कूल जिसमें वह रह रहा है, वो उसका पैतृक घर है, उसने यह घरौनी बनवाने के लिए क्या क्या जुगत लगाई होगी, यह किसी से छुपा नहीं है। सरकारी महकमे में सही काम ही समय से नहीं होता, लेकिन यहाँ पर गलत काम झट से करदिया गया इसकी कानों-कान खबर नहीं हुई, दाल में कुछ काल जरूर है।
ततकालीन अधिकारी भी हैं जाँच के घेरे में
इस भवन के मालिकाना हक (घरौनी ) के लिए जो कूट रचित दस्तावेज राधेश्याम ने प्रस्तुत किए, उनके जाँच का दाइत्व जिस तत्कालीन तहसील अधिकारी के कार्यक्षेत्र में आता था, उनका नाम गगन कुमार कुशवाह था राधेश्याम भी कुशवाह है, ऐसे क्या कारण थे, जिसकी वजह से उन्होंने इन दस्तावेजों की जाँच भली प्रकार नहीं की, सच कहा जाए तो यह जाँच जानबूझ कर नहीं की, एक व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन भली प्रकार नहीं किया गया, अगर जाँच होती है तो तकलीन अधिकारी भी इससे अछूते नहीं रहेंगें।
कहीं सरकार ने भवन राधेश्याम को बेच तो नहीं दिया
जाँच SDM स्तर से की जानी है, लेकिन यह जाँच अभी तक चालू नहीं हुई है, राधेश्याम है कि सरकारी भवन में लगातार तोड़फोड़ कर रहा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस भवन को ग्रामीण सरकारी स्कूल समझ कर राधेश्याम का विरोध कर रहे हैं, सरकारी मुलाजिमों ने वह भवन राधेश्याम को बेच न दिया हो, क्योंकि सरकारी स्कूल लगभग २० वर्षों से बंद भी पड़ा है, और लगभग तभी से राधेश्याम उसी भवन पर कब्ज़ा किये बैठा है, शिक्षा विभाग ने अपने भवन की कोई भी सुध नहीं ली, जिसका लाभ राधेश्याम ने लिया, विभागों में अक्सर कर्मचारी घोटाला करते पकडे गए हैं, इसकी भी जाँच आवश्यक।
नहीं की गई है कोई कार्यवाही
अभी तक तहसील स्तर के अधिकारीयों कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति ही की है, जब प्रकरण १०० प्रतिशत गलत है और कब्जे के रूप में सरकारी भवन है, तब भी कोई ठोस कार्यवाही के मूड में प्रशासन नहीं दिखाई दे रहा है, ग्रामीण ज्ञापन लेकर जिलाधिकारी भानुचन्द गोस्वामी से मिलने का विचार बना रहे हैं, ग्रामीणों का कहना है कि निष्पक्ष जाँच कर दोषियों को सजा दी जाए, जाँच को ढीला छोड़कर दोषियों को बचने का कार्य किया जा रहा है।