यहाँ बन जाती है सरकारी इमारत की घरौनी
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यहाँ बन जाती है सरकारी इमारत की घरौनी
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यहाँ बन जाती है सरकारी इमारत की घरौनी [News VMH-Holipura Agra] जी हाँ आप अगर सरकारी भवनों की घरौनी बनवाना चाहते हैं तो बिल्कुल सही न्यूज़ पोस्ट पर हैं, इसके लिए आपको कोई ज्यादा परेशानी नहीं उठानी होगी बस थोड़ा सा प्रयास आपको यह कार्य सुगमता से करवा देगा, अगर आप आगरा के बाह तहसल के अंदर रहते हैं तो आपको किसी भी भवन की घरौनी मिल जाएगी। ये कोई मज़ाक नहीं है बाह तहसील में कार्यरत कर्मचारियों ने बिना किसी जाँच के राधेश्याम नामक व्यक्ति को बहुत समय से बंद पड़े सरकारी स्कूल की घरौनी बना कर दे दी।
कैसे बना दी घरौनी-यहाँ बन जाती है सरकारी इमारत की घरौनी
सरकारी मुलाजिम जिनके पास घरौनी बनाने का कार्य था उन्होंने उन्होंने राधेश्याम के द्वारा प्रेषित आवश्यक दस्ताबेज जांचे ही नहीं। ये कार्य जितना छोटा समझा जा रहा है उतना है नहीं। सरकार की मंशा के अनुरूप घरौनी बनाने का कार्य किया गया था, जिसके अंदर सराकर की मंशा थी कि किसी भी संपत्ति पर कोई नाजायज कब्ज़ा न कर पाए.
यहाँ हास्यास्पद बात यह है, इस कार्य के लिए उत्तरदाई कर्मचारी ने बिना कुछ जाँच पड़ताल किए सरकारी स्कूल जो बहुत समय से बंद पड़ा था उसी की घरौनी बनाकर आरोपी को दे दी, यहाँ पर यह सवाल उठ रहे हैं कि जो कर्मचारी घरौनी बनाने की लिए उत्तरदाई था किन दस्ताबेजों के आधार पर घरौनी बना कर राधेश्याम को दे दी और सरकारी स्कूल को उसकी पैतृक संपत्ति घोषित कर दी।
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अगर जाँच न हुई तो मनोबल बढ़ेगा
अगर ये मान भी लिया जाए कि इस घरौनी बनाने में आवेदक ने कूटरचित दस्ताबेजों का उपयोग किया था, तो क्या सरकार के पास कोई भी ऐसा तरीका नहीं था कि वो इन कूटरचित दस्ताबेजों की जाँच कर पाता। ऐसा नहीं है कि ये दस्ताबेज जांचने में गलती हुई, दरअसल कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से इन दस्ताबेजों को जांचने की खानापूर्ति कर दी गई, और एक ऐसे व्यक्ति को सरकारी भवन में रहने के अधिकार दे दिए गए जो उसका था ही नहीं। यहाँ बन जाती है सरकारी इमारत की घरौनी.
अच्छा हुआ ये एक स्कूल है
वो तो अच्छा हुआ कि जिस ईमारत की घरौनी बनाकर राधेश्याम नामक व्यक्ति को दी गई वो एक सरकारी ईमारत है, अगर सरकारी मुलाजिमों ने किसी के घर की घरौनी बनाकर राधे श्याम को दे दी होती तो दुश्मनी की इबारत लिख गई होती और पीड़ित तहसील के चक्कर लगा रहा होता, और वैसे भी देश की 70 प्रतिशत जनसख्या का मानना है की बिना रिश्वत के कार्य नहीं होता। अगर सच कहा जाए तो नियम विरुद्ध कार्य करने का कोई तो पारितोषक अवश्य लिया गया होगा।
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इस प्रकरण में अभी तक नहीं हुए जाँच के आदेश
आपको यह भी बता दें की अभी तक इस प्रकरण के जाँच के आदेश नहीं हुए हैं, वरिष्ठ अधिकारीयों के द्वारा दोषियों को किस प्रकार बचाया जाता है ये देखने का विषय हैं, सरकारी स्कूल पर कब्ज़ा किये बैठा व्यक्ति वहीँ पर बैठा है, स्कूल की ईमारत पर उसका मालिकाना हक है ऐसे दस्ताबेज तहसील द्वारा उसको दिए गए हैं। ये अधिकार जिसने दिए उसने दस्ताबेजों की जाँच नहीं की, वह भी अपनी नौकरी कर रहा है, जब तक दोषियों के विरुध्द कार्यवाही नहीं होती तक तक ये मामला न्यूज़ VMH उठाता रहेगा।
ऐसे तो विदेशियों को भी दे दिया जायेगा मालिकाना हक
अगर बिना किसी दस्ताबेज के ही घरौनी बनाकर दी जा रही है तो देश की सुरक्षा के लिए भी बहुत जयादा खतरनाक है, ये उदासीन कर्मचारी बिना किसी आवश्यक दस्ताबेज के विदेशियों को भी घरौनि बनाकर दे सकते हैं जो कभी भी कोई आतंकवादी भी हो सकता है। देश की सुरक्षा के पार्टी खिलवाड़ करने वालों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी ये देखने का विषय है।
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