WhatsApp Image 2024 02 17 at 8.07.30 AM 2 scaled
चंबल साहित्य महोत्सव शुरू, पचनद के तट पर सजी साहित्य और कला की महफ़िल

चंबल साहित्य महोत्सव शुरू, पचनद के तट पर सजी साहित्य और कला की महफ़िल

चंबल साहित्य महोत्सव शुरू, पचनद के तट पर सजी साहित्य और कला की महफ़िल [News VMH-Chambal, Rajyadav] पचनद: चंबल लिटरेरी फेस्टिवल (चंबल साहित्य महोत्सव) का आयोजन 16 फरवरी से शुरू हो गया है. चंबल संग्रहालय और द ऐंट्स का संयुक्त तत्वावधान में हो रहा तीन दिवसीय चंबल साहित्य महोत्सव 18 फरवरी तक चलेगा. आज पहले दिन महोत्सव में कवियों, साहित्यकारों, लेखकों, अभिनेताओं और पत्रकारों की महफ़िल सजी. इस मौके पर कला और साहित्य को बढ़ावा देने के साथ ही चंबल के कल, आज और कल पर चर्चा की गई. आयोजन स्थल पर किताबों के स्टॉल लगाये गए. महोत्सव में कई राज्यों के बुद्धिजीवी हिस्सा लेने पहुंचे हैं.

चंबल साहित्य महोत्सव की शुरुआत दीपोत्सव कर की गई. चंबल साहित्य महोत्सव की पुस्तिका भी जारी की गई. उद्घाटन समारोह सुबह 10 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक चला. इसमें पंचनद ‘कल, आज और कल’ को लेकर चर्चा की गई. इसके साथ ही साहित्य में बीहड़ और बीहड़ में साहित्य को लेकर चर्चा होगी. फ़िल्म स्क्रीनिंग एवं सांस्कृतिक संध्या- शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक हुई.

Astrologer Sanjeev Chaturvedi
चंबल साहित्य महोत्सव शुरू, पचनद के तट पर सजी साहित्य और कला की महफ़िल

पंचनद ‘कल, आज और कल’ चर्चा हुई

पंचनद ‘कल, आज और कल’ चर्चा के दौरान दिल्ली से पहुंचे पर्यावरण शोधकर्ता, डॉक्यूमेंट्री मेकर, लेखक-फिल्मकार विद्या भूषण रावत ने कहा कि चंबल के पंचनद के किनारे साहित्य और कला की बातें और माहौल बेहद सुकून देने वाला है. दिल्ली जैसी जगहों से चंबल को डकैतों की कहानियों के साथ ही याद किया जाता है, लेकिन इसके उलट ये माहौल बेहद अद्भुद है. बॉलीवुड ने चंबल का पूरा सच नहीं दिखाया.

चंबल की तपिश हो महसूस

कानपुर के पत्रकार अनिल सिन्दूर ने कहा कि चंबल का इतिहास सिर्फ डकैतों वाला नहीं है, बल्कि इसके पहले और इसके बाद के समय को भी याद रखना चाहिए. चंबल में कई बड़े बुद्धिजीवी और क्रन्तिकारी जन्मे. चंबल की तपिश डकैतों के इतर भी महसूस करना चाहिए.

चंबल साहित्य महोत्सव शुरू, पचनद के तट पर सजी साहित्य और कला की महफ़िल

चंबल का इतिहास किसने चुराया

सूरज रेखा त्रिपाठी ने कहा कि चंबल के डकैतों के किस्से आज की मीडिया पर भरे पड़े हैं, लेकिन चंबल के क्रांतिकारियों का इतिहास किसने चुरा लिया. चंबल के बाहर चंबल को लेकर और चीज़ों पर बात तभी होगी जब जंगल के बीच पंचनद जैसी जगह पर ऐसे साहित्य महोत्सव होंगे.

साहित्य से जुड़ें यहाँ के युवक

देवेंद्र सिंह चौहान एडवोकेट, भिंड ने कहा कि इस इलाके का इतिहास तो महाभारत और भीम से भी जुड़ा है. साहित्यकार, कवि इस अंचल की जान रहे हैं. साहित्य भी यहाँ के पानी में है. इतने स्वतंत्रता सेनानी यहां रहे हैं. प्रवीण परिहार, भिंड ने कहा कि चंबल को इतिहास में ठीक से जगह नहीं मिली. आज के समय में युवाओं को साहित्य से जुड़कर चंबल की तासीर को समझने, पढ़ने की ज़रूरत है.

चंबल साहित्य महोत्सव शुरू, पचनद के तट पर सजी साहित्य और कला की महफ़िल

चंबल के बहुत से सकारात्मक पक्ष

दूसरे सत्र में वरिष्ठ पत्रकार केपी सिंह ने कहा कि चंबल के डकैतों का एक साहित्यिक पक्ष भी था. पान सिंह तोमर जैसे बागी थे, जिनके बहुत से सकारात्मक पक्ष थे. वह एक समय धावक के रूप में पूरी दुनिया में छाये रहे. इतना बड़ा इलाका है, चंबल को तो अलग प्रान्त होना चाहिए.

पंचनद है बेहद ख़ास

धीरज कुमार समाजसेवी फतेहपुर, सुनील शर्मा और धीरेंद्र भदौरिया ने कहा कि पंचनद दुनिया की इकलौती ऐसी जगह है जहाँ पांच नदियों का संगम है. यहां चंबल और साहित्य पर सकारात्मक बात होना आश्चर्यजनक है. चंबल साहित्य महोत्सव के आयोजक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि चंबल साहित्य का मकसद न सिर्फ चंबल और पचनद से लोगों को परिचित कराना ही है.

ये है दूसरे दिन का कार्यक्रम

दूसरे दिन 17 फरवरी को लेखन एवं कहानी कहने की कार्यशाला सुबह 10 से 11 बजे तक, स्वाभाविक सौंदर्य का पर्याय चंबल पर चर्चा सुबह 11 से 1 बजे तक, ब्रेक के बाद चंबल का सामाजिक तानाबाना पर चर्चा दोपहर 2 बजे बजे 4 बजे तक होगा. इसके बाद संगीतमय शाम 5 बजे से 8 बजे होगी.

भाजपा का लाभार्थी संपर्क अभियान

By news vmh

Sanjeev Chaturvediमेरा नाम संजीव चतुर्वेदी है, मैं पिछले 3 वर्षों से डिजिटल मीडिया के लिए काम कर रहा हूं, पिछले 2 वर्षों से मैं News VMH में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम कर रहा हूं, यहां मैं एक संपादक के रूप में भी काम करता हूं। मेरी शिक्षा अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएट है।sanjeevchaturvedi.holi@gmail.com8077205306

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *