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इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली दूसरे नंबर की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग, मुनाफे में
इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली दूसरे नंबर की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग, मुनाफे में [News VMH-New Delhi] नई दिल्ली: इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की सूची में दूसरे नंबर पर आने वाली मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) ने 2023-24 के लिए अपने वित्तीय परिणाम जारी किए हैं। कंपनी ने 10% की वृद्धि के साथ ₹12,000 करोड़ का राजस्व और ₹1,500 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया है। यह मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 15% अधिक है।
कहाँ की है ये कंपनी
मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित एक भारतीय बहुराष्ट्रीय निर्माण कंपनी है। यह कंपनी 1989 में स्थापित हुई थी और इसका मुख्यालय हैदराबाद में है।
देश और विदेश तक फैला है व्यापर
MEIL भारत और विदेशों में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है, जिसमें सड़कें, रेलवे, पुल, हवाई अड्डे, बिजली परियोजनाएं और जल संसाधन परियोजनाएं शामिल हैं। यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी निर्माण कंपनियों में से एक है और इसे भारत सरकार द्वारा “नवरत्न” कंपनी का दर्जा दिया गया है।
कौन हैं इसके फाउंडर
मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) के संस्थापक पी.पी. रेड्डी हैं। उनका जन्म 1956 में तेलंगाना के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा हैदराबाद से पूरी की और 1989 में MEIL की स्थापना की।
शुरुआत में, MEIL एक छोटी कंपनी थी, लेकिन रेड्डी के नेतृत्व में यह भारत की सबसे बड़ी निर्माण कंपनियों में से एक बन गई। रेड्डी को उनके काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें पद्मश्री और पद्मभूषण शामिल हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड से कितना पैसा दिया
मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) ने 2023-24 में ₹200 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। यह 2023 में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि MEIL ने यह पैसा किसी राजनीतिक दल को सीधे नहीं दिया है।इलेक्टोरल बॉन्ड एक वित्तीय साधन है जो किसी भी व्यक्ति या कंपनी को किसी राजनीतिक दल को गुमनाम रूप से चंदा देने की अनुमति देता है।
इतना पैसा क्यों दिया गया यह स्पष्ट नहीं
MEIL ने यह पैसा क्यों दिया, यह स्पष्ट नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि कंपनी ने यह पैसा सत्तारूढ़ दल को खुश करने के लिए दिया था, ताकि उसे भविष्य में सरकारी ठेके मिल सकें।
दूसरों का मानना है कि कंपनी ने यह पैसा राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए दिया था।MEIL ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
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