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राम मंदिर की लड़ाई, कब क्या हुआ?
राम मंदिर

राम मंदिर की लड़ाई, कब क्या हुआ?

राम मंदिर की लड़ाई, कब क्या हुआ? राम मंदिर की लड़ाई, कब क्या हुआ? आज २२ जनवरी २०२४ को हिन्दू धर्म के लिए बहुत बड़ा दिन है, आज के दिन ऐताहिसक विवादित स्थल और हिन्दुओं के आराध्य भगवन श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में अब से कुछ देर बाद प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी।

त्रेता युग में भगवान श्री राम को १४ वर्ष के लिए बनवास की घोषणा की गई थी जिसके बाद भगवन श्री राम बन चले गए थे 14 वर्ष बाद जब भगवान राम वापस आए तो दीपावली मनाई गई।

Astrologer Sanjeev Chaturvedi

उसी को आधार मान कर उत्तर प्रदेश और देश की सरकार ने समस्त हिन्दुओं को गौरवान्वित करने वाले, #श्रीरामप्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर भव्य आयोजन का खाका खिंचा है।

आइये हम अपने पाठकों को आज इस राम मंदिर के बारे में कुछ बताते हैं।

आयोध्या के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में राम जन्मभूमि का परिचय

आयोध्या, भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का केंद्र, एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जिसमें राम जन्मभूमि अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह स्थल भगवान राम के जन्म के स्थान के रूप में माना जाता है और इसे “राम जन्मभूमि” कहा जाता है। आयोध्या का इतिहास पुराने समय से लेकर मुग़ल साम्राज्य के दौरान बदला और यह स्थल हिन्दू धर्म के एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में महत्वपूर्ण रहा है। राम जन्मभूमि ने भारतीय समाज को एक सामूहिक भक्ति और सांस्कृतिक एकता की भावना प्रदान की है।

राम मंदिर की लड़ाई, कब क्या हुआ?
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अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राचीनता

अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यह हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राचीनता एक विवादित विषय रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह केवल कुछ सौ साल पुराना है।

पुरातात्विक साक्ष्य

अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राचीनता के बारे में सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मिले हैं। विध्वंस के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने साइट पर खुदाई की और कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेषों की खोज की। इन अवशेषों में से कुछ में हिंदू मंदिरों के खंडहर शामिल हैं।

ASI की खुदाई से पता चला है कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण कई चरणों में हुआ था। सबसे पुराने मंदिर का निर्माण लगभग 1500 ईसा पूर्व में हुआ था। इस मंदिर के अवशेषों में खंभे, दीवारें और मंदिर की संरचना के अन्य भाग शामिल हैं।

बाद के मंदिरों का निर्माण क्रमशः 500 ईसा पूर्व, 200 ईसा पूर्व और 700 ईस्वी में हुआ था। इन मंदिरों के अवशेषों में भी खंभे, दीवारें और मंदिर की संरचना के अन्य भाग शामिल हैं।

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ऐतिहासिक साक्ष्य

अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राचीनता के बारे में कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य भी हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य तीसरी शताब्दी ईस्वी में लिखी गई वाल्मीकि रामायण है। रामायण में भगवान राम के जन्म और अयोध्या में उनके राज्यकाल का वर्णन है।

वाल्मीकि रामायण में अयोध्या में एक मंदिर का उल्लेख है जो भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर को “अयोध्या के राम मंदिर” के रूप में जाना जाता है। वाल्मीकि रामायण में मंदिर के बारे में कई विवरण दिए गए हैं। इन विवरणों से पता चलता है कि यह मंदिर एक बड़ा और भव्य मंदिर था।

अन्य साक्ष्य

अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राचीनता के बारे में अन्य साक्ष्य भी हैं। इनमें से कुछ साक्ष्य हैं:

  • अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का उल्लेख कई अन्य हिंदू ग्रंथों में भी किया गया है।
  • अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का उल्लेख कई मुस्लिम इतिहासकारों ने भी किया है।
  • अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का उल्लेख कई स्थानीय किंवदंतियों और परंपराओं में भी किया गया है।

बाबरी मस्जिद का निर्माण

तीन गुंबद वाली बाबरी मस्जिद 1528 ई. में बनाई गई थी। कोर्ट ने ऐसा माना की इस बाबरी मस्जिद का निर्माण राम मंदिर को तद कर किया गया मुगल बादशाह बाबर के एक सेनापति जिसका नाम मीर बाकी था, ने भगवान राम की जन्मस्थली के तौर पर एक मंदिर को गिराया था। तब से हिंदू उस जमीन को वापस पाने की कोशिश कर रहे थे। सम्राट अकबर के समय में उनके लिए राम चबूतरा बनाया गया था, लेकिन उनके परपोते औरंगजेब के शासन में यह विवाद और बढ़ गया। कुछ स्रोतों के अनुसार, गुरु गोबिंद सिंह की सेना भी राम जन्मभूमि को मुक्त करने के लिए लड़ाई में शामिल हुई थी। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के अधीन, ब्रिटिश रेजिडेंट मेजर जेम्स आउटराम ने मस्जिद को लेकर सांप्रदायिक संघर्ष की सूचना दी थी। इसलिए 1859 में, जब भारत ब्रिटिश राज के अधीन आया, तो अदालत ने मस्जिद का आंतरिक प्रांगण मुसलमानों को और चबूतरे वाला बाहरी प्रांगण हिंदुओं को सौंप दिया।

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बाबरी मस्जिद के विवाद और कोर्ट की पैरवी व फैसला

बाबरी मस्जिद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में स्थित एक मस्जिद थी। यह तीन गुंबद वाली मस्जिद 1528 ई. में मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाई थी। ऐसा माना जाता है कि मीर बाकी ने भगवान राम की जन्मस्थली के तौर पर एक मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण करवाया था।

बाबरी मस्जिद का निर्माण हिंदू-मुस्लिम विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है। हिंदू मानते हैं कि मस्जिद का निर्माण एक मंदिर के खंडहरों पर किया गया था। वे इस मस्जिद को अवैध मानते हैं और यहां एक राम मंदिर का निर्माण करवाना चाहते हैं।

बाबरी मस्जिद को लेकर 19वीं और 20वीं शताब्दी में कई बार हिंसा हुई है। 1949 में, कुछ लोगों ने मस्जिद में एक पत्थर की मूर्ति रख दी, जिसे हिंदू भगवान राम का अवतार माना गया। इसके बाद, मस्जिद को लेकर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी।

1992 में, एक विशाल हिंदू भीड़ ने मस्जिद को गिरा दिया। इस घटना के बाद, भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी और सैकड़ों लोग मारे गए।

कोर्ट की पैरवी

बाबरी मस्जिद विवाद के बाद, दोनों समुदायों ने कोर्ट में याचिका दायर की। हिंदुओं ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण एक मंदिर के खंडहरों पर किया गया था और इसलिए इसे गिरा दिया जाना चाहिए। मुसलमानों ने दावा किया कि मस्जिद एक वैध धार्मिक स्थल है और इसे नहीं गिराया जाना चाहिए।

मामले की सुनवाई कई अदालतों में हुई। सबसे पहले, मामला जिला अदालत में गया। जिला अदालत ने 1994 में फैसला सुनाया कि मस्जिद का निर्माण एक मंदिर के खंडहरों पर किया गया था। हालांकि, इस फैसले को दोनों समुदायों ने चुनौती दी।

मामला उच्च न्यायालय में गया। उच्च न्यायालय ने 2010 में फैसला सुनाया कि मस्जिद का निर्माण एक मंदिर के खंडहरों पर किया गया था। हालांकि, इस फैसले को भी दोनों समुदायों ने चुनौती दी।

अंत में, मामला भारत के सर्वोच्च न्यायालय में गया। सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में फैसला सुनाया कि मस्जिद का निर्माण अवैध था और इसकी जगह पर एक राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण एक मंदिर के खंडहरों पर किया गया था। न्यायालय ने कहा कि मस्जिद का निर्माण अवैध था और इसे गिरा दिया जाना चाहिए।

न्यायालय ने कहा कि राम जन्मभूमि एक धार्मिक स्थल है और यहां एक राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण दोनों समुदायों के बीच सद्भाव और शांति को बढ़ावा देगा।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। आज उसी क्रम में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। ये हिन्दू धर्म के लिए ऐतहासिक अवसर है।

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By news vmh

Sanjeev Chaturvediमेरा नाम संजीव चतुर्वेदी है, मैं पिछले 3 वर्षों से डिजिटल मीडिया के लिए काम कर रहा हूं, पिछले 2 वर्षों से मैं News VMH में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम कर रहा हूं, यहां मैं एक संपादक के रूप में भी काम करता हूं। मेरी शिक्षा अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएट है।sanjeevchaturvedi.holi@gmail.com8077205306

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