कौन थे मुकेश चंद्र माथुर? आप भी जानते होंगें
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कौन थे मुकेश चंद्र माथुर? आप भी जानते होंगें
कौन थे मुकेश चंद्र माथुर? आप भी जानते होंगें [News VMH-New Delhi, Kamal Kant Chaturvedi] मुकेश चंद्र माथुर यही था पूरा नाम जिन्हे हमने मुकेश के नाम से जाना और सुना हिंदी फिल्म जगत का एक ऐसा नाम जो अपने समय के महानतम गायकों में एक बहुत ही अलग और अनूठी प्रतिभा से सभी के दिलों और दिमाग में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे।
सभी गायकों में सबसे अलग थे मुकेश
अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो मुकेश जी के पास रफी साहब जैसी विविधता, किशोर कुमार जी जैसी चंचलता और मन्ना डे साहब जैसी कलात्मकता नहीं थी फिर भी उनकी आवाज में एक जुडाव था, उनके बारे में जिसने भी लिखा उसमे एक बात सबसे कॉमन लिखी गई कि, मुकेश जी की आवाज में कोई भी गाना, कहीं दूर से भी सुनाई देता है तो एक पल को कदम रुक जाते हैं, ध्यान उधर ही चला जाता है।
फैन फॉलोइंग के अलावा भी मुकेश जी को बहुत ज्यादा पसंद किया गया और आगे भी किया जाएगा, अपने सबसे ज्यादा फेवरेट गायक और पर्सनेलिटी के बारे में आज कुछ लिखने का मन हुआ तो वही लिख रहा हूं।
दिल जलता है तो जलने दे
“दिल जलता है तो जलने दे” गाने से अपनी फिल्मी यात्रा स्टार्ट करने वाले मुकेश जी ने लगभग 1400 फिल्मी और गैर फिल्मी गीतों को अपनी मधुर आवाज से सजाया और जीवंत किया … कुछ फ़िल्मों में अभिनय भी किया जिनमें “निर्दोष” फिल्म ही रिलीज हुई लेकिन सफल नहीं हुई… राजकपूर जी द्वारा अभिनीत फिल्म आह में मुकेश जी ने ऑनस्क्रीन तांगा भी चलाया, राजकपूर जी के साथ उनकी जोड़ी के बारे में तो बहुत कुछ पहले ही लिखा जा चुका है मुकेश जी को राजकपूर जी की ऑनस्क्रीन आवाज भी कहा जाता है।
ये नग्मे हैं अमर
लेकिन इसके अलावा मुकेश जी ने जो गाने गाए मेरे हिसाब से उन्ही गानों में मुकेश जी ज्यादा दिलकश लगे …..”क्या खूब लगती हो” “में ना भूलूंगा” “इन रस्मों को” “सुहानी चांदनी रातें” इन गीतों में उनकी आवाज में जो खनक महसूस होती है वो एकदम अलग और स्पेशल है।
छोटा रहा जीवन
मुकेश जी के बारे में कहा जाता है कि वे श्री राम प्रभु के भक्त थे, उन्होंने श्री राम चरित मानस को भी अपनी आवाज और अपनी स्टाइल में गाया, जो निश्चित रूप से अद्वतीय है… नौशाद, शंकर जयकिशन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी जैसे सभी संगीतकारों को अपनी आवाज देने वाले मुकेश जी की जीवनरेखा थोड़ी छोटी रही और हिंदी फिल्म जगत कुछ और दिलकश नगमों से वंचित रह गया।
सादर नमन
इतनी दमदार और लुभावनी आवाज 27 अगस्त 1976 को अचानक बंद हो गई, करोड़ों फैंस स्तब्ध थे। चार फिल्मफेयर अवार्ड्स और कई राष्ट्रीय अवार्ड्स से सम्मानित मुकेश जी वास्तव में एक सच्चे कलाकार थे .. उन्ही के गाए हुए एक गीत “जाने चले जाते है कहां दुनिया से जाने वाले” के साथ ही न्यूज वीएमएच उनको याद कर रहा है एवम सादर नमन करता है।
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