UAE फिर से बारिश का कहर, स्कूल, उड़ान बंद, घर से ही कार्य करें कर्मचारी
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UAE फिर से बारिश का कहर, स्कूल, उड़ान बंद, घर से ही कार्य करें कर्मचारी
UAE फिर से बारिश का कहर, स्कूल, उड़ान बंद, घर से ही कार्य करें कर्मचारी [News VMH-UAE] संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक बार फिर से भारी बारिश शुरू हो गई है, जिसके चलते गुरुवार को दुबई में मौजूद दुनिया के दूसरे सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा है। इसके साथ ही कई फ्लाइट देरी से उड़ने पर मजबूर हुईं। दुबई में प्रशासन ने छात्रों और काम करने जाने वाले लोगों को घर पर रहने को कहा है।
दो सप्ताह पहले यूएई और आसपास इलाकों में रिकॉर्ड बारिश हुई थी, जिसके चलते यूएई और पड़ोसी देश ओमान में बाढ़ आ गई थी। उस दौरान दुबई एयरपोर्ट समेत शहर के पॉश इलाकों में पानी भर गया था। बारिश और बाढ़ के चलते यूएई में 4 लोगों की मौत हुई थी, जबकि पड़ोसी ओमान में 19 लोग मारे गए थे। अब एक बार फिर बारिश और तूफान की वापसी ने लोगों को डरा दिया है।
दो महीने के बराबर बारिश
बारिश के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिनमें तेज हवाओं के साथ सड़कों पर भारी बारिश होती दिख रही है। इस दौरान आकाशीय बिजली भी चमक रही है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि बारिश दो सप्ताह पहले जितनी तेज नहीं है लेकिन 12 घंटे के अंदर दुबई में 20 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो आमतौर पर अप्रैल और मई में होने वाली बारिश के दोगुने से भी ज्यादा है। एक अन्य अमीरात अबू धाबी में 24 घंटों में 34 मिलीमीटर बारिश हुई, जो अप्रैल और मई की औसत बारिश से चार गुना अधिक है।
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बाढ़ से लिया दुबई ने सबक
पिछली बारिश के चलते आई बाढ़ से दुबई ने सबक लिया है और इस बार उसकी तैयारियां साफ नजर आईं। बारिश से एक दिन पहले ही मजदूरों ने सड़कों पर नालियां खोली थीं। शहर में मोबाइल फोन पर व्यापक रूप से आपातकालीन सूचनाएं भेजी गईं और लोगों को घर पर ही रहने की चेतावनी दी गई। बाढ़ की आशंका वाले घाटी के इलाकों की सड़कें बंद कर दी गईं, जबकि लोगों को पहाड़ी, रेगिस्तानी और समुद्री इलाकों से दूर रहने को कहा गया।
जलवायु परिवर्तन है वजह
यूएई के रेगिस्तानी इलाकों में भारी बारिश होना सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों ने दो सप्ताह पहले हुई रिकॉर्ड बारिश को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा है। वर्ल्ड वेधर एट्रिब्यूशन पहले के तहत 21 वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि दोनों देशों में अत्यधिक वर्षा के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है। अध्ययन में पाया गया है कि बिना ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के बारिश में 10 से 40 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि नहीं हो सकती है।