Mukhtar Ansari News : मुख्तार के खौफ से जब कांपती थीं सरकारें
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Mukhtar Ansari News : मुख्तार के खौफ से जब कांपती थीं सरकारें
Mukhtar Ansari News : मुख्तार के खौफ से जब कांपती थीं सरकारें [News VMH] लखनऊ. उत्तर प्रदेश में जब माफिया मुख्तार अंसारी का खौफ इस कदर था कि सरकार तक उसके सामने चुप रहती थीं और उसके काफिले को रोकने का साहस किसी में नहीं था. खुली जीप में चलना, हथियारों का लहराना और दंगों के बाद धमकाना मुख्तार अपनी शान समझता था. तब एक सन्यासी ने उसके खिलाफ आवाज उठाई थी और उसे चुनौती दी थी. वो सन्यासी कोई और नहीं गोरक्षपीठाधीश्वर और मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ हैं.
786 नम्बर की होती थी गाड़ियां
एक समय था जब मुख्तार के काफिले में 786 नंबर की 20 से अधिक गाड़ियां होतीं थीं और मऊ दंगों के प्रत्यक्षदर्शी आज भी याद करते हैं कि माफिया ने कैसे हथियार लहराए थे. मुख्तार अंसारी जब चलता तो बॉडीगार्ड और अपने गैंग के बीच सबसे लंबा दिख जाता था. लोग, कारोबारी और राजनेता तक उससे कांपते थे और उसके सामने नहीं जाते थे. सरकार भी चुप रहती थी. मऊ, गाजीपुर, वाराणसी, आजमगढ़ सहित कई जिलों में मुख्तार का आतंक था. उस समय पूरे प्रदेश में केवल एकमात्र योगी आदित्यनाथ उसके खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे.उन्होंने उस समय सांसद होते हुए इस माफिया के साम्राज्य में चुनौती दी थी.
मऊ दंगे के पीड़ितों को न्याय दिलाकर ही रहूंगा
मुख्तार को खुली चुनौती देते हुए 2005 में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि चाहे कुछ हो जाए, मैं मऊ दंगे के पीड़ितों को न्याय दिलाकर ही रहूंगा. मऊ में मुख्तार अंसारी हथियारों को लहराते हुए खुली जीप में घूम रहा था. योगी जब गोरखक्षनाथ मंदिर से मऊ के लिए 10 से 12 गाड़ियों के काफिले के साथ निकले थे तब किसी को मालूम नहीं था कि आगे क्या होने वाला है. गोरखपुर से 30 किलोमीटर तक योगी आदित्यनाथ के पहुंचते-पहुंचते गाड़ियों का काफिला 150 के करीब हो गया. योगी आदित्यनाथ मऊ की तरफ बढ़े तो उनको गोरखपुर और मऊ के बार्डर दोहरीघाट में ही रोक दिया गया था.
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