3 बार की सांसद उषा वर्मा को सपा ने हरदोई से मैदान में उतारा

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3 बार की सांसद उषा वर्मा को सपा ने हरदोई से मैदान में उतारा
3 बार की सांसद उषा वर्मा को सपा ने हरदोई से मैदान में उतारा [News VMH-Hardoi] समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में सीटों के बटवारे पर कोई सहमति बने इसके बीच ही समाजवादी पार्टी में तीन बार सांसद रहीं उषा वर्मा को हरदोई सुरक्षित लोकसभा सीट से एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है। उन्हें पिछले दो चुनाव 2014 व 2019 में पराजय का सामना करना पड़ा था।

तीन बार समाजवादी पार्टी की टिकट पर लड़ते हुए ऊषा वर्मा सांसद रह चुकी हैं उनको फिलहाल 31 हरदोई सुरक्षित लोकसभा सीट से सपा ने टिकट दी है। उन्हें पिछले २ चुनावी दंगलों में 2014 और 2019 में भाजपा प्रत्याशी से पटखनी खाने को मिली। उषा वर्मा का जन्म 5 मई 1963 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था। उनकी शादी हरदोई के दिग्गज नेता और दो बार सांसद तथा छह बार विधायक रह चुके परमाई लाल के बेटे लाल बिहारी के के साथ हुआ था।

ब्लॉक प्रमुख चुनाव जीतकर सियासी सफर शुरू किया
उषा वर्मा ने 1995 में ब्लाक प्रमुख का चुनाव जीतकर अपना सियासी सफर शुरू किया था। हरदोई लोकसभा सीट पर उनके ससुर परमाई लाल 1977 में पहली बार लोकदल और फिर 1989 में जनता दल से जीते। 1998 में उषा वर्मा ने अपनी ससुर की विरासत संभाली और हरदोई लोकसभा सीट पर पहली बार सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतीं। 1999 के चुनाव में वे हार गईं। 2002 में वे विधायक चुनी गईं और मुलायम सिंह की सरकार में बाल विकास पुष्टाहार मंत्री बनीं।
इन चुनावो में की जीत दर्ज
साल 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के अंशुल वर्मा ने और 2019 के चुनाव में उन्हें भाजपा के जयप्रकाश रावत ने 1 लाख से ज्यादा मतों से हराया था। 2022 में उन्होंने सांडी विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वहां भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। उषा वर्मा 1998-99 में महिला सशक्तिकरण के संयुक्त समिति की सदस्य भी रही। उसके बाद 2004 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण समिति के सदस्य रही। 2004 से 2009 तक सामाजिक न्याय और अधिकारिता समिति के सदस्य भी बनी।

भाजपा में जाने की लग रहीं थीं अटकलें
राजनीतिक गलियारों में उषा वर्मा के भाजपा ज्वाइन करने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हालांकि अभी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन उनका मुकाबला एक बार फिर भाजपा से ही होना तय है। यह आने वाला समय ही बताएगा कि इस बार कोई लोकसभा पहुंचती हैं या हार की हैट्रिक उन्हें झेलनी पड़ेगी।
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