17 करोड़ रुपए का इंजेक्शन जानिए क्यों है महंगा
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17 करोड़ रुपए का इंजेक्शन जानिए क्यों है महंगा
17 करोड़ रुपए का इंजेक्शन जानिए क्यों है महंगा [News VMH-New Delhi] जी हाँ आप भी आश्चर्यचकित रह गए होंगे, लेकिन ये सच है दुनियां में जीवन बचने के लिए इंसान हमेशा प्रयासरत रहता है, आज हम जिस इंजेक्शन की बात कर रहे हैं उसकी कीमत सुनकर अच्छे अच्छे पैसे वालों की भी जान हलक में आ जाएगी इसकी कीमत लाखों नहीं करोड़ो में है वो एक या दो करोड़ नहीं पूरी 17 करोड़ 50 लाख। इस इंजेक्शन का नाम “जोलगेनेस्मा इंजेक्शन” है इसकी कीमत करीब 17.5 करोड़ रुपए है।
अमीरों की पॉकेट से है बहार
जहाँ तक बात की जाए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के द्वारा सच में जीवन रक्षा हेतु लगातार परिक्षण और खोजें की जाती रहीं हैं। इसी के परिणामस्वरूप “जोलगेनेस्मा इंजेक्शन” बनाया गया लेकिन यह इतना मंहगा हो गया कि इसकी कीमत आम जनता तो छोड़िये अमीरों के पॉकेट से भी बहार हो गया है। इसकी कीमत लगभग भारतीय रुपयों में 17.5 करोड़ रुपए है। यह इंजेक्शन इतना महंगा क्यों है इसका उपयोग क्यों किया जाता है आइये जानते हैं।
इंजेक्शन इतना महंगा क्यों
Zolgensma इंजेक्शन को स्विटजरलैंड की एक फार्मा कम्पनी नोवार्टिस तैयार करती है। कम्पनी का दावा है कि यह इंजेक्शन एक तरह का जीन थैरेपी ट्रीटमेंट है। जिसे एक बार लगाया जाता है। यह एक प्रकार का एंटी-एजिंग तंतु है जिसे विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि यह शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों को मजबूती प्रदान कर सके। इसे स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी से जूझने वाले 2 साल से कम उम्र के बच्चों को लगाया जाता है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार यह इंजेक्शन इतना महंगा इसलिए है क्योंकि यह जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। जो लोगों के अंदर उम्मीद जगाती है कि एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाली जानलेवा जेनेटिक बीमारी ठीक की जा सकती है।
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इसकी कीमत ऐसे की गई निर्धारित
इंजेक्शन के तीसरे चरण के ट्रायल का रिव्यू करने के बाद इंस्टिट्यूट फॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक ने इसकी कीमत 9 से 15 करोड़ रुपए के बीच तय की थी। नोवार्टिस ने इसे मानते हुए इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए रखी। यह कीमत होने के कारण यह चिकत्सा क्षेत्र में संजीवनी बूटी के सामना है।
क्या है इस इंजेक्शन का उपयोग
यह 2 वर्ष से कम उम्र के बाल रोगी के स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) के उपचार में इस्तेमाल होती है। एसएमए एक दुर्लभ और अक्सर घातक अनुवांशिक बीमारी है जो पैरालैसिस, मांसपेशियों की कमजोरी और मूवमेंट के प्रोग्रेसिव लॉस का कारण बनती है। गंभीर टाइप 1 एसएमए इस स्थिति का सबसे सामान्य रूप है। इसके साथ पैदा हुए बच्चे केवल दो साल जिंदा रह सकते हैं।
कैसे काम करती है यह दवा
जोलजेस्मा एक एडेनो-एसोसिएटेड वायरस वेक्टर-बेस्ड जीन थेरेपी है। एकबारगी जीन थेरेपी एसएमए का इलाज करती है। जीन थेरेपी में बीमारी के इलाज के लिए फॉल्टी या नॉन वर्किंग जीन को नए वर्किंग जीन से रिप्लेस किया जाता है। जोलजेस्मा मरीज में मानव SMN जीन की एक नई, कार्यशील कॉपी के जरिए मिसिंग या नॉन वर्किंग SMN1 जीन को बदलती है। यह एक वेक्टर का उपयोग करके ऐसा करती है।
वेक्टर एक एक वाहक है जो शरीर में नए, काम कर रहे SMN1 जीन को प्राप्त कर सकता है। इस मामले में वेक्टर एक वायरस है जिसका डीएनए हटा दिया गया है और एसएमएन 1 जीन के साथ बदल दिया गया है। इस प्रकार का वायरस आपको बीमार नहीं करता है, लेकिन यह जल्दी से शरीर के माध्यम से मोटर न्यूरॉन कोशिकाओं तक जा सकता है और नए जीन को डिलीवर कर सकता है।
Zolgensma मोटर न्यूरॉन सेल के न्यूक्लियस के अंदर बैठता है और मोटर न्यूरॉन सेल को नया SMN1 प्रोटीन बनाना शुरू करने के लिए कहता है। एक बार जब जीन अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं, तो वैक्टर टूट जाते हैं और शरीर से बाहर निकल जाते हैं और बच्चे के डीएनए का हिस्सा नहीं बनते हैं। जोलजेस्मा ने शिशुओं को बिना वेंटिलेटर के सांस लेने, अपने दम पर बैठने और क्रॉल करने और सिंगल इन्फ्यूजन ट्रीटमेंट के बाद चलने जैसे मील के पत्थर तक पहुंचने में मदद की है। यह दवा टाइप 1 एसएमए वाले छोटे बच्चों के जीवन को लम्बा खींच सकती है।
प्रयास है सस्ता हो इंजेक्शन
17 करोड़ रुपए का इंजेक्शन: बीमारी कभी भी रहन सहन और अमीरी गरीबी देखकर नहीं आती, इस इंजेक्शन के मूल्य में संसोधन की आवश्यकता है इसका उपयोग आम नागरिक तभी कर सकेगा जब यह पॉकेट फ्रेंडली होगा, लेकिन इसकी कीमत देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह कभी पॉकेट फ्रेंडली हो पाएगा। हालाँकि इसको लेकर कुछ NGO, सरकारी और गैर-सरकारी स्वास्थ्य संगठनों के बीच गहन विचार विमर्श चल रहा है, या सभी इस इंजेक्शन को उस मूल्य पर लाना चाहते हैं जिससे वो लोग इसे आसानी से खरीद सकें जिन्हें इसकी आवश्यकता है।
17 करोड़ रुपए का इंजेक्शन 2024 में बढ़ सकती है मांग
अभी तक कितने इंजेक्शन बेचे गए हैं इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2023 में भारत में 10 से अधिक बच्चों को जोलगेनेस्मा इंजेक्शन दिया गया था। यह संख्या 2024 में बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि सरकार ने इस दवा पर आयात शुल्क माफ कर दिया है।
डॉ.सुशील सम्राट प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक जर्नलिस्ट एसो. की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मनोनीत