संजय चतुर्वेदी-भैया, एक अद्भुत प्रतिभा के धनी व्यक्ति, जानिए इनकी स्टोरी
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संजय चतुर्वेदी-भैया, एक अद्भुत प्रतिभा के धनी व्यक्ति, जानिए इनकी स्टोरी
संजय चतुर्वेदी-भैया, एक अद्भुत प्रतिभा के धनी व्यक्ति, जानिए इनकी स्टोरी [News VMH-Holipura] संजय चतुर्वेदी शायद ये नाम आप न जानते हों, लेकिन इनके बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है, ये वो शख्सियत है जिनसे मिलकर आपको ऐसा लग सकता है, कि जितना आपने आज तक इनको जाना वो शायद परिपूर्ण नहीं था। अपनी वाकपटुता के धनी संजय चतुर्वेदी-भैया अपने स्नेहपूर्ण व्यव्हार के लिए जाने जाते हैं।
होलीपुरा में हुआ जन्म
इनका जन्म ०७/०६/१९६२ को, आगरा जिला मुख्यालय से लगभग ६० किलोमीटर दूर, बाह तहसील के होलीपुरा नामक ग्राम में, स्वर्गीय श्री गंगाधर चतुर्वेदी के पुत्र कैलाश बाबू जी के पुत्र के रूप में हुआ। वैभवशाली होलीपुरा के वैभवशाली घराने, जिसको सम्पूर्ण चतुर्वेदी समाज “बड़े घर” के नाम जानता है, वह इनका खानदान है, जिसके बारे में ज्यादा बताने की आवश्यकता शायद नहीं है, अगर आप किसी से भी इस खानदान के बारे में पूंछेंगें तो इनके वैभवशाली इतिहास से अवश्य ही रूबरू हो सकेंगें।
भैया के नाम से सम्पूर्ण समाज में मशहूर संजय चतुर्वेदी-भैया ने अपनी शिक्षा होलीपुरा के नामचीन स्कूल “दामोदर इंटर कॉलेज” से प्राप्त की। इससे आगे की शिक्षा इन्होने इलाहाबाद से की, नामचीन खानदान होने पर भी जरा सा अहंकार नहीं, ऐसे अद्भुत हैं श्री संजय चतुर्वेदी-भैया। अभी तक के लेख में मैंने उनके जीवन पर थोड़ा सा प्रकाश डाला है, अब उनके अंदर की प्रतिभाओं के बारे में कुछ चर्चा कर लेना उत्तम होगा, तो आइये उनकी प्रतिभाओं के बारे में एक-एक कर चर्चा करता हूँ।
एक अच्छे बॉलीबाल खिलाडी
अगर बात करें खेल से जुड़े होने की तो लम्बी कद काठी के होने के कारण आपका झुकाव हमेशा से ही बॉलीबाल की ओर रहा। जब आप इलाहाबाद में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तभी आपका बॉलीबाल खेल इतना उत्कृष्ट था कि आपका सलेक्शन उत्तर प्रदेश की १५ सदस्यी टीम में हो गया था। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती, आपका झुकाव भले ही बॉलीबाल की तरफ रहा हो, लेकिन आप किसी भी खेल पर अगर इनसे चर्चा करेंगें, तो आप से अधिक समझ उस विषय पर संजय चतुर्वेदी-भैया की पाएंगे, ये मैं पक्के तौर पर कह सकता हूँ, उनकी खेलों पे बारीक पकड़ के कारण ही ये बच्चों में लोकप्रिय हैं।
ढोलक वादक
अक्सर देखने में आया है कि चतुर्वेदी समाज के द्वारा छापी जाने वाली मासिक पत्रिका में हर वर्ष किसी न किसी की फोटो ढोलक वादक के रूप में छपती रही है। लेकिन ये बात 200 प्रतिशत सही है कि, जितना एक चतुर्वेदी होने के नाते मैं समाज को जनता और पहचनता हूँ उस हिसाब से इतिहास केवल तोडा-मरोड़ा जा रहा है।
श्री संजय चतुर्वेदी-भैया को समाज के किसी भी व्यक्ति ने वो सम्मान कभी नहीं दिया जितने के वो हक़दार हैं। इस समय सम्पूर्ण चतुर्वेदी समाज में निरविरोध रूप से संजय (भैया) वादन की विधा में, उस पायदान पर खड़े हैं जहाँ से वो धुरंधर जिनका नाम चतुर्वेदी पत्रिका में छपता रहा है वो इनसे कोसों दूर खड़े दिखाई देते हैं, मेरे हिसाब से कोई भी इस विधा में संजय चतुर्वेदी-भैया के आस पास भी नहीं है।
गायन
प्रभु जब किसी पर मेहरबान होता है तो वह मनुष्य को सभी प्रकार से निपुण बना देता है, जिस प्रकार श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि “जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करे सब कोई।” जिस प्रकार ढोलक वादन में समाज में उनका कोई मुकबला नहीं है, उसी प्रकार गायन में भी वो अपना एक खास मुकाम रखते हैं, गायन स्थल पर आ जाने मात्र से एक अद्भुत नज़ारा बन जाता है, कई प्रकार की रागों पर भी आपकी अच्छी पकड़ है, शायद मैं उन रागों के नाम भी नहीं बता सकता जो उनको आती हैं। गायन और वादन दोनों विधाओं में परिपूर्ण संजय चतुर्वेदी-भैया सच में कहा जाए तो होलीपुरा के गौरव हैं।
सही सम्मान हो
ऐसे व्यक्तियों का समुचित आदर करना हमारा और हमारी पीढ़ी का कर्तव्य है, इस बात से हमें गर्वित होने का अवसर प्राप्त होता है कि, ऐसी विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी लोगों का आशीर्वाद हमारे सर पर है। हमको चाहिए कि बिना किसी राग द्वेष के जो जिस सम्मान का हकदार है उसको दें। हम संजय चतुर्वेदी को भूलकर उनके हक का सम्मान ऐसे व्यक्ति को दिए जा रहे हैं, जो सच में उस सम्मान का हकदार बिल्कुल नहीं है।
एक प्रतिभावान और विलक्षण प्रतिभा के धनी किसी व्यक्ति को किसी राग द्वेष से प्रेरित होकर गुमनाम नहीं किया जा सकता। ये संजय चतुर्वेदी-भैया का ओहदा है जो आज तक अपनी प्रतिभा के दम पर अपना नाम अभी भी बरक़रार किये हैं। लेकिन यह बात बोलने में मुझे कोई परेशानी नहीं कि समाज से जो सम्मान इनको मिलना चाहिए था वो नहीं मिला।
हेरिटेज विलेज बनाने की लिए सार्थक प्रयास
अखिलेश सरकार में संजय चतुर्वेदी-भैया के सार्थक प्रयासों के कारण होलीपुरा को हेरिटेज विलेज बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसका क्रेडिट संजय जी को अवश्य मिलना चाहिए, जब होलीपुरा में विदेशी पर्यटक आते थे, तो संजय चतुर्वेदी उनको होलीपुरा के इतिहास और हवेलियों के बारे बताते हुए एक गाइड की भांति उनकी जिज्ञासाओं को शांत करते भी देखे गए, इससे यह भी समझा जा सकता है कि संजय चतुर्वेदी-भैया की पकड़ देशी ही नहीं विदेशी भाषाओं पर भी है।
न्यूज़ VMH जल्दी ही करेगी सम्मान
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि भदवार क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के दम पर अपना नाम कमाने वाले संजय चतुर्वेदी-भैया का सम्मान news VMH के प्रबंधकों के द्वारा किया जायेगा, जल्दी ही समय और दिन का उद्घोष कर दिया जायेगा।