श्री राधाबल्लभ मंदिर पर मकर संक्रांति श्रद्धाभाव से मनाया
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श्री राधाबल्लभ मंदिर पर मकर संक्रांति श्रद्धाभाव से मनाया
श्री राधाबल्लभ मंदिर पर मकर संक्रांति श्रद्धाभाव से मनाया [News VMH-Etawah, Chaudhary Abhinandan Jain Nandu and Vimal Jain] इटावा । छैराहा स्थित शहर के वृंदावन धाम श्री राधाबल्लभ मंदिर पर मकर संक्रांति का पावन पर्व सोमवार को श्रद्धाभाव से मनाया गया। इस मौके पर श्री राधाबल्लभ लाल जी महाराज का आकर्षक श्रंगार कर पंचमेवा औषधीय खिचड़ी का भोग अर्पित किया गया।
त्यौहार के मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था। पूरे दिन मंदिर व आसपास के क्षेत्र में भगवान राधा वल्लभ लाल व राधा रानी के जयघोष गुंजायमान होते रहे। मंदिर आने वाले भक्तों ने विशेष खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया।
श्री राधाबल्लभ मंदिर पर खिचड़ी का भोग
ब्रज में खिचड़ी उत्सव काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है। क्यों कि भगवान राधा वल्लभ लाल को अन्य व्यंजनों के साथ खिचड़ी काफी प्रिय है। उसी परंपरा के अनुसार यहां पर भी उल्लास के साथ खिचड़ी उत्सव मनाया जाता है। ठाकुर जी के लिए विशेष प्रकार की खिचड़ी तैयार की जाती है। वैसे तो यह खिचड़ी शुद्ध घी में मूंग की दाल व चावल की बनी होती है।
लेकिन इस खिचड़ी में लोंग, इलायची, केसर, काली मिर्च, जायफल, जावित्री, पिस्ता, बादाम, छुहारा, गरी, किसमिस, अदरक, मुनक्का भी डाला जाता है, इसी औषधि युक्त खिचड़ी का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है। त्यौहार के मौके पर मंदिर के महंत गोस्वामी प्रकाश चंद महाराज ने सुबह मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान ठाकुर जी का विशेष पूजन अर्चन करने के बाद गर्म नई पोशाक धारण कराकर श्रंगार किया।
ठाकुर जी को जयपुर से आई विशेष रजाई
इसके बाद दोपहर 12:00 बजे विशेष पंचमेवा खिचड़ी के साथ अन्य कई प्रकार के व्यंजनों का भोग ठाकुर जी कोअर्पित किया ।सुबह से शाम तक ठाकुर जी के पूजन अर्चन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे सभी ने भगवान के आकर्षक श्रंगार को भी निहारा। खिचड़ी उत्सव के मौके पर ठाकुर जी को जयपुर से आई विशेष रजाई भी ओढ़ाई गई।
मकर संक्रांति का बहुत महत्व है
इस मौके पर महंत गोस्वामी प्रकाश चंद महाराज ने श्रद्धालुओं को मकर संक्रांति का महत्व बताते हुये कहा कि सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है। सूर्य देव जब अपने पुत्र की राशि मकर में प्रवेश करते हैं उस दिन संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है। इस विशेष संयोग में पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है। उन्होने कहा मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।
कार्य शक्ति में वृद्धि होती है
प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्य देव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियां चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है।