भारत और ईरान के बीच समझौते से चीन, पाकिस्तान और अमेरिका चिंतित
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भारत और ईरान के बीच समझौते से चीन, पाकिस्तान और अमेरिका चिंतित
भारत और ईरान के बीच समझौते से चीन, पाकिस्तान और अमेरिका चिंतित [News VMH-Tehran] भारत और ईरान के बीच सोमवार को चाबहार बंदरगाह को लेकर डील होने के बाद अमेरिका बौखला गया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत का नाम लिए बिना धमकी दी है और कहा ‘कोई भी’ जो ईरान के साथ बिजनस करने पर विचार कर रहा है।
अमेरिका ने कहा कि जो देश ईरान के साथ बिजनस कर रहे हैं, उन्हें ‘प्रतिबंधों के संभावित खतरे’ के प्रति जागरुक रहना चाहिए। भारतीय मूल के अमेरिकी प्रवक्ता वेदांत पटेल ने यह भी दावा किया कि चाबहार पोर्ट को लेकर भारत को कोई भी छूट नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी बरकरार हैं और हम इसे आगे भी लागू करेंगे। अमेरिकी प्रवक्ता यह दावा तब कर रहे हैं जब खुद अमेरिकी प्रशासन ने साल 2018 में भारत को चाबहार बंदरगाह को लेकर छूट दी थी। आइए समझते हैं कि अमेरिका के इस रुख में आए बदलाव की वजह क्या है?
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विशेषज्ञों ने अमेरिका को लगाई फटकार
अमेरिका के इस धमकी भरे बयान पर विशेषज्ञों ने उसे फटकार लगाई है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और जेएनयू में प्रफेसर हप्पयन जैकब ने ट्वीट करके कहा कि यह दुभार्ग्यपूर्ण है और दोस्त देश एक-दूसरे के खिलाफ ऐसा नहीं करते हैं। अमेरिका ने यह धमकी ऐसे समय पर दी है जब खुद उसने साल 2018 में भारत को चाबहार पोर्ट को लेकर छूट दी थी। साल 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने ऐलान किया था कि वह ईरान के चाबहार पोर्ट पर बड़े प्रॉजेक्ट को प्रतिबंधों में छूट दे रहा है।
अमेरिका ने मजबूरी में दी थी भारत को छूट
दरअसल, उस समय अमेरिका अफगानिस्तान में फंसा हुआ था और उसको लगता था कि चाबहार पोर्ट से भारत का अफगानिस्तान का रास्ता साफ होगा। इससे अमेरिका को मदद मिलेगी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता ने बताया था कि ट्रंप की दक्षिण एशिया नीति में अफगानिस्तान के आर्थिक विकास को सपोर्ट किया गया।
इसके अलावा भारत के साथ करीबी भागीदारी पर भी जोर दिया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह भारत को ईरान की अर्थव्यवस्था पर लगाए गए प्रतिबंधों से चाबहार पोर्ट को लेकर छूट दे रहा है। इसमें चाबहार से जुड़ा रेलवे प्रॉजेक्ट भी शामिल है।
अफगानिस्तान के विकास के लिए इस छूट को दिया गया है
ईरान की योजना है कि वह रेलवे के जरिए अपने चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान से जोड़ दे ताकि मध्य एशिया तक आसानी से व्यापार का रास्ता खुल जाए। अमेरिका ने कहा कि अफगानिस्तान के विकास के लिए इस छूट को दिया गया है।
चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट अगर सफल होता है तो भारत का रूस, अजरबैजान, मध्य एशिया और यूरोप तक रास्ता खुल सकता है। साल 2018 में छूट देने वाला अमेरिका अब साल 2024 में भारत को ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर धमकाने में जुट गया है। असल में अमेरिका जब तक अफगानिस्तान में फंसा हुआ था तब तक वह चाहता था कि भारत अफगानिस्तान में निवेश बढ़ाए और उसकी मदद करे।
अमेरिका ने क्यों बदल दिए हैं सुर ?
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने और ईरान के साथ चल रहे तनाव के बीच उसके सुर बदल गए हैं। अमेरिका चाहता है कि तालिबानी सरकार से भारत दूरी बनाए। वहीं भारत ने ऐसा नहीं करते हुए अफगानिस्तान में राजनयिकों को फिर से तैनात किया है। यही नहीं तालिबान ने पाकिस्तान के कराची पोर्ट से अपनी निर्भरता को खत्म करने के लिए चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर के निवेश का ऐलान किया है।
इन सबसे अमेरिका खफा है और वह पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है। पाकिस्तान और अमेरिका ने सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसमें टीटीपी आतंकियों को लेकर सहयोग का ऐलान किया है। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी आतंकियों को तालिबानी शरण दे रहे हैं।