निबंधन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों की क्यों नहीं की जाँच
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निबंधन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों की क्यों नहीं की जाँच
निबंधन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों की क्यों नहीं की जाँच सरकारी विभागों का राम ही मालिक है। निबंधन विभाग उत्तर प्रदेश जिसको आप स्टाम्प एवं रजिस्ट्री विभाग के नाम से भी जानते हैं। इस विभाग में कुछ समय पहले तक प्राइवेट कर्मचारी कार्य करते थे। जिनके भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की शिकायत विभाग के आला अधिकारियों को मिलती रही थी।
सुविधा शुल्क के रूप में मोटा पैसा लेते थे
शिकायत मिली थी तो ये सही भी होगी, दरअसल इस निबंधन विभाग का काम आपके द्वारा खरीदी गई प्रोपर्टी के ऊपर स्टाम्प और रजिस्ट्री का कार्य करना है, सुनने में आता रहा कि इस विभाग के प्राईवेट कर्मचारी विभाग के बाहर जाकर लोगों से सेटिंग करते थे। इस सेटिंग के बदले में ये लोगों से सुविधा शुल्क के रूप में मोटा पैसा लेते थे, ये पैसा विभाग के आन रोल कर्मचारियों के नाम पर लिया जाता था। जो प्राइवेट कर्मचारी थे उन्होंने अपने कार्यकाल में आय से अधिक संपत्ति अर्जित की यह भी सच है, अगर आप भी अपने आस पास देखेंगें तो ऐसे प्राइवेट कर्मचारियों के रहन सहन के स्तर से आपको भी ये अंदाजा हो जाएगा।
प्राइवेट कर्मचारियों पर चाबुक चलाया
विभाग ने इन सभी प्राइवेट कर्मचारियों पर चाबुक चलाया और विभाग से बाहर कर दिया। यह सारा कार्य विभाग द्वारा निर्गत एक पत्र का संज्ञान लेते हुए हुआ था। लेकिन यहां प्रश्न ये उठता है कि कार्य करते हुए कर्मचारियों को एक आदेश का संज्ञान लेते हुए, यह एलिगेशन लगाकर हटा दिया जाना कि वे भ्रष्टाचार कर रहे हैं क्या यह न्यायसंगत था? अगर नहीं तो इनको क्यों हटाया गया? और अगर भ्रष्टाचार वाली बात सच थी तो इन प्राइवेट कर्मचारियों को बिना जाँच के क्यों छोड़ दिया गया? दरअसल इनको हटाना किसी प्लान का हिस्सा हो सकता है। अगर सघन जाँच की जाएगी तो अवश्य वह प्लान भी सामने आ जायेगा।
कहीं कुछ गड़बड़ है
भ्रष्टाचार का हवाला देकर निकाल दिए कर्मचारी, नहीं की भ्रष्टाचार की जांच साथ ही विभाग के आला अधिकारियों ने ऐसा भी नहीं किया कि इन प्राइवेट कर्मचारियों को हटाने के बाद कोई आन रोल भर्तियां की हों, सूत्रों के हवाले से खबर है कि यह कार्य किसी कार्यदाई संस्था को दिया गया है जो निबंधन विभाग को कार्य करने हेतु प्राइवेट कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।
अब जो प्राइवेट कर्मचारी डायरेक्ट नीचले स्तर से रखे गए थे उनको यह कह कर हटा देना कि यह भ्रष्टाचार में संलिप्त थे, और उनकी जगह कार्यदाई संस्था से प्राइवेट कर्मचारी कार्य हेतु लेना इसका क्या मतलब समझा जाए। लेकिन भ्रष्टाचारी कर्मचारियों पर कोई भी कार्यवाही न करना, कार्यदाई संस्था से फिर से प्राइवेट कर्मचारियों को रखने का उत्तरदायित्व देना क्या खुदमे सवाल खड़े नहीं करता।
आखिर कमियां कहाँ हैं
News VMH लगातार ये मुद्दा जनता के सामने उठाता रहेगा, यह जानकारी आपको होना भी आवश्यक है, आखिर कमियां कहाँ हैं। अगर कोई दोषी है तो उसका प्रमाण उस विभाग के पास होना चाहिए जिन्होंने दोषारोपण कर इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त की है। और अगर पर्याप्त साबुत नहीं हैं तो फिर ऐसा आदेश पारित क्यों किया जिसमे ये उल्लेख है की प्राइवेट कर्मचारियों के द्वारा भ्रष्टाचार हो रहा है।