अंगद आज भी पैर जमाय लंका बीच खड़ा है बाबर की संतानों देखो झंडा वही गड़ा है- गौरव चौहान

अंगद आज भी पैर जमाय लंका बीच खड़ा है बाबर की संतानों देखो झंडा वही गड़ा है- गौरव चौहान

अंगद आज भी पैर जमाय लंका बीच खड़ा है बाबर की संतानों देखो झंडा वही गड़ा है- गौरव चौहान

इटावा -550 वर्ष उपरांत अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में आयोजित श्री राम कथा मंच पर श्री राम काव्य संध्या भगवान श्री राम को समर्पित सबके राम सब में राम कविताओं से कमलेश शर्मा गौरव चौहान डॉ राजीव राज नंदू भदोरिया अवनीश त्रिपाठी अनुभव शुक्ला धीरज चंदन हेमंत पांडे शिखा दीप्ति मुकेश श्रीवास्तव अजय अंजाम देवेंद्र आग रोहित चौधरी आदि कवियों ने भक्तों को जमकर गुदगुदाया इटावा के प्रसिद्ध कवि जो पूरे देश में इटावा का मान नेताजी लपेटे में जैसे बड़े-बड़े 200 से अधिक शो बड़ा रहे हैं गौरव चौहान ने अपनी कविता के माध्यम से उनका जवाब दिया जो कहते थे राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे पर तारीख नहीं बताएंगे ऐसे लोगों को जवाब देते हुए कहा कि बाबर की संतानों देख लो अंगद आज भी पैर जमाय लंका बीच खड़ा है बाबर की संतानों देखो झंडा वही गड़ा है राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे तारीख भी बताएंगे तारीख नोट कर लो 22 जनवरी 2024 जो कहते हैं कर जाते हैं जिगरा बहुत बड़ा है उन्होंने अपनी अगली कविता में कहा बचपन में हमें तो पढ़ाया गया था कि चरखे से आजादी आई पर हमने तो अपनी आंखों से देखा है बुलडोजर से शांति आई।

कवि नंदू भदोरिया ने सबरी प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु राम और शबरी एक दूजे के सामने ठाड़े कर जोर शबरी और राम में अभिनंदन की होड़ सुदामा मिलन का वर्णन करते हुए बताया काल ने बेहाल किया अब चीनत नहीं रघुराई जब भगवान द्वारकाधीश से मिलकर सुदामा जी चलने लगे तब भगवान ने उन्हें दिखने वाली मुद्राएं नहीं दी जिससे उनके मन में विचार आया कि 100 अपराध किय शिशुपाल ने सो मेरे रघुराई शो क्षमा कर आए एक मुट्ठी चना चोरी किए सो मेरी अपराध नहीं भुलाई तुम हो मीरा तो कष्ट का करो सामना तुम अहिल्या हो तो छल का करो सामना जानकी तुम्हें अब समझने लगे हैं सब धदकती अनल का करो सामना कमलेश शर्मा ने अपनी प्रसिद्ध कविता को गया जो राम का नहीं बो किसी काम का नहीं मंदिर का रोड बने हुए थे वह सड़कों पर आ गए रामद्रोंह की सजा पा गए।

Astrologer Sanjeev Chaturvedi

अजय अंजाम ने कहा की मोर मुकुट सर पर साजों मेरा सर तब झुके जब हाथ में धनुष बाण हो

डॉ राजीव राज ने अपनी कविता में कहा पीर समानी रोचक बनकर कर गंभीर करुणा कविता बन वही जो नैन सो नीर कवि मुकेश श्रीवास्तव भगवान राम ने जब मित्रता की तो वानरों के हो गए अंत काल तक किसी को छोड़ते नहीं है अंत काल में भी श्री राम का नाम ही लिया जाता है कवित्री दीप्ति शिखा कोई पवन सा धाम हो जैसे या अयोध्या सा धाम हो जैसे प्रेम में हो पवित्रता इतनी साथ सीताराम में हो जैसे हेमंत पांडे ने पाकिस्तान से आई सीमा हैदर पर कहा सीमा हैदर भारत आई हो पूरी जांच लेकर जाओगी चार लेकर आई थी 5 लेकर जाओगी कवि अवनीश त्रिपाठी ने कहा कि मंदिर नहीं बना था तो ऐसा लगता था हम अपने ही घर में किराए पर रहते थे कवि धीरज चंदन चांद में चकोर जैसे बरखा में मोर जैसे अर्चना में ओम जैसे तेरा मेरा प्यार है राधिका से श्याम जैसा तेरा मेरा प्यार है कवि अनुभव शुक्ला दिल में जिंदा मेरा गांव चौपाल रहे बरगद वाली छांव रहे मानव जीवन को सुंदर आयाम मिला भारत मां को सुंदर धाम मिला बजरंगी को भी राम का धाम मिला श्री राम काव्य संध्या की अध्यक्षता श्री राम कथा के मुख्य अजमान एमपी सिंह तोमर नेकी मुख्य अतिथि के रूप में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के जिला संयोजक रामकुमार चौधरी संचालन कवि रोहित चौधरी ने किया कवियों को सम्मानित दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी राघवेंद्र सिंह उपमुख्यमंत्री के केशव प्रसाद मौर्य के ओएसडी विवेक सिंह दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संयोजक संजय चतुर्वेदी दिव्य प्रेम सेवा मिशन की राष्ट्रीय युवा इकाई प्रमुख जयवीर सिंह ने सभी कवियों को शाल उड़ाकर व प्रतीक चिन्ह सम्मानित किया।

संवाददाता
अभिनन्दन जैन और विमल जैन

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